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[PDF] मैक्डुगल संवेग सिद्धान्त व 14 मूल प्रवृत्तियां | CTET, STET & SUPER TET NOTES

[PDF] मैक्डुगल संवेग सिद्धान्त व 14 मूल प्रवृत्तियां | CTET, STET & SUPER TET NOTES

मैक्डुगल संवेग सिद्धान्त की सम्पूर्ण जानकारी और नोट्स, टेट और सुपरटेट परीक्षा | Mcdougall Emotion Theory in Hindi

Mcdougall Emotion Theory in Hindi

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संवेग की परिभाषा | Definition of Emotions

मनुष्य अपने रोजाना की जिंदगी में सुख,दुख,भय, क्रोध,प्रेम, ईर्ष्या, घृणा आदि का अनुभव करता है। वह ऐसा व्यवहार किसी उत्तेजना वस करता है। यह अवस्था संवेग कहलाती है।

वुडवर्थ के अनुसार 

संवेग, व्यक्ति की उत्तेजित दशा है।

संवेग के प्रकार | Type of Emotions

मूल प्रवृत्ति जन्म व्यवहार के तीन पक्ष होते है

  • I.   ज्ञानात्मक
  • II.   भावात्मक
  • III.   क्रियात्मक

मैक्डूगल के चौदह संवेग व 14 मूल प्रवृत्तियां | McDougall's 14 Emotions and 14 Basic Nature

इन्होने मूल प्रवृत्तियों को जन्मजात प्रवृत्ति माना और उन्हें सभी प्रकार की संवेगों का दाता कहा। संवेग का संबंध मूल प्रवृत्तियों से होता है मैक्डूगल ने 14 मूल प्रवृत्तियां तथा प्रत्येक से जुड़ा एक संवेग भी होता है।

क्र.   मूल प्रवृत्तियां   सम्बन्धित संवेग

1.   जिज्ञासा (Curiosity) 👉  आश्चर्य (Wonder)
2.   शिशुरक्षा (Parental) 👉  वात्सल्य (Love)
3.   पलायन (Escape)  👉 भय (fear)
4.   युयुत्सा (Combat) 👉  क्रोध (Anger)
5.   निवृत्ति (Repulsion)  👉 घृणा (Disgust)
6.   शरणागति (Apeal)  👉 विषाद (Distress)
7.   रचनात्मक (Construction) 👉  संरचनात्मक भावना (feeling of creativeness)
8.   दैन्य (Submission) 👉  आत्महीनता (Negative self-feeling)
9.   भोजन-अन्वेषण (food seeking)  👉 भूख (Appetite)
10.   हास (Laughter)  👉 आमोद (Amusement)
11.   संचय प्रवृत्ति (Acquisition) 👉  स्वामित्व की भावना (feeling of ownership)
12.   सामूहिकता (Gregariousness) 👉  एकाकीपन (feeling of loneliness)
13.   काम (Sex) 👉  कामुकता (Lust)
14.   आत्म-गौरव (Self-assertion) 👉  श्रेष्ठता की भावना (positive self-feeling)

संवेगों के घटक | Components of emotions

  • I.   संवेगात्मक भावनाएं
  • II.   शारीरिक परिवर्तन
  • III.   व्यवहार में बदलाव
  • IV.   संवेगात्मक अभिव्यक्ति

संवेगों का शिक्षा में महत्व | Importance of emotions in education

संवेगों का कक्षा शिक्षण में विद्यालय में क्या महत्व है चलिए इसको निम्न बिंदुओं से समझते हैं-

  • I.   बालकों के संवेग को जगाकर पाठ में उनकी रुचि उत्पन्न की जा सकती है।
  • II.   विद्यार्थियों के संवेगों का ज्ञान प्राप्त करके उपयुक्त पाठ्यक्रम का निर्माण करने में सफलता प्राप्त किया जा सकता है।
  • III.   शिक्षक बालकों की मानसिक शक्तियों के मार्ग को प्रशस्त करके उन्हें अपने अध्ययन में अधिक क्रियाशील बनने की प्रेरणा प्रदान कर सकता है।
  • IV.   शिक्षक बालकों के संवेगों को परिष्कृत करके उनको समाज के अनुकूल व्यवहार करने की क्षमता प्रदान कर सकता है।
  • V.   बच्चों में उपयुक्त संवेगों को जागृत करके उनको महान कार्यों को करने की प्रेरणा दी जा  सकती है।

बच्चों के संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

Factors affecting emotional development of a child

इसके अंतर्गत निम्न कारक तत्व आते हैं

  • I.   वंशानुक्रम
  • II.   परिवार
  • III.   बुद्धि की मानसिक योग्यता
  • IV.   थकान
  • V.   माता-पिता का दृष्टिकोण
  • VI.   सामाजिक स्थिति
  • VII.   बालक का स्वास्थ्य
  • VIII.   सामाजिक स्वीकृति
  • IX.   विद्यालय व शिक्षक

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